शंकर हमारा जग से निराला है भक्तों उनके गले में सर्पों की माला है भक्तों
है हाथ में त्रिशूल गले मुंड की माला , डमरू है बगल में पहने मृग की छाला मस्तक पे इनके चंद्र उजाला है भक्तों उनके गले में सर्पों की माला है भक्तों
भस्मा को दिया वर वो सुनके मग्न हो गये , लेकिन घमंड भस्मा के सब चूर हो गये भस्मा को किया भस्म मुंह काला है भक्तों उनके गले में सर्पों की माला है भक्तों
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