बना है दूल्हा दाड़ी वाला धूनी का रमैया
शेषनाग की जुल्फें काढ़े शेषनाग लिपटैया , शेषनाग गले में पहने सिर पे गंगा मैया
बाघाम्बर का बाघा पहने गले मुंड की माला , भांग धतूरा खाता जाये डमरू का बजैया
सब सखियां मिल देखन आईं पार्वती का दूल्हा , जब भोले की देखी सूरत हंस रहे लोग लुगैया
सारी सखियां हंसी उड़ावें कैसा दूल्हा आया , जब भोले ने छोड़ी ततैया नाचें ता ता थैया
पार्वती की माता रोवें कैसा वर तूने पाया , होनी थी जो हो गई विधाता कहें पड़ोसी भैया
मत कर माता चिंता मेरी भोले जग के स्वामी , रूप बदल जब भोले आये जैसे कुंवर कन्हैया
बना है दूल्हा दाड़ी वाला धूनी का रमैया
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