बृंदावन की इन कुंज गलिन में खुशबू बिहारी जी की आती है मन में समाये मुझे मदहोश बनाये दर पे बिहारी के ले आती है
धन्य बृंदावन में बहे पुरवइया लता पता महके फूल और कलियां पुष्प पुष्प में कली कली में दिव्य सुगन्ध भर जाती है
बृंदावन में होती लीलायें यहां आकर के पूरी होती इच्छायें हम भी चलेंगे और तुम भी चलोगे दर्शन देंगे बिहारी जी
जब से लगा है बृंदावन का चस्का बन गए पी के पागल प्याला प्रेम रस का सुन लो भक्तों अरे वो प्यारे भक्तों जीवन पवित्र बनाती है
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