मैंने पूछा श्याम पिया से मेरे घर कब आओगे
तुम महलों के वासी मेरी कुटिया छोटी है मेरी कुटिया पावन करने मेरे घर कब आओगे
तेरे छप्पन भोग लगें मेरी रूखी रोटी है मेरा रुखा सूखा भोजन मेरे घर कब खाओगे
तुम भाग्य विधाता हो मैं अबला नारी हूं तुम भाग्य बनाते हो मैं भाग्य की मारी हूं मेरा सोया भाग्य जगाने मेरे घर कब आओगे
तुम रास रचाते हो माखन भी खाते हो मेरी लाज बचाने कान्हा मेरे घर कब आओगे
तुम चीर बढ़ाते हो गोपी को नचाते हो मेरा कीर्तन सुनने कान्हा मेरे घर कब आओगे
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