जब से देखा तुम्हें मुरली वाले दिल हमारा तो वश में नही है अपने जलवे तो मत पूछो हमसे जलवा कोई भी कम तो नही है
रूप सजाते हो तुम नित नवेले रूप तेरा दीवाना बनाये जो सजाता है तुमको कन्हैया वो भी आशिक तेरा कम नही है
गले मणियों की मोती सजी है कभी कलियां सुहानी सजी हैं लट मस्ती में श्री मुख को चूमे उसकी किस्मत भी कुछ कम नही है
देख चितवन तेरी शोक आंखें बिन पिए ही नशा चढ़ रहा है दिल को कैसे संभालू कन्हैया अब तो दिल मेरा वश में नही है
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