हरी जी तुम भक्तों के रखवाले प्रभू जी तुम भक्तों के रखवाले तुम ही सबके मात पिता हो नैया तेरे हवाले
हिरण्यकश्यप ने चाबुक मारा नरसिंह होकर दैत्य पछाड़ा सब देवों के दुख प्रभू हारे सब भक्तों के रखवारे हरी जी तुम भक्तों के रखवाले प्रभू जी तुम भक्तों के रखवाले
मात वचन सिर पर धर लीन्हा ध्रुव ने वन जाकर तप कीन्हा गरुढ़ चढ़े प्रभू दर्शन दीन्हा अंत बैकुंठ सिधारे हरी जी तुम भक्तों के रखवाले प्रभू जी तुम भक्तों के रखवाले
द्रुपद सुता की लाज बचाई गौतम नारि की विपत्ति मिटाई शबरी की महिमा अधिकाई गज के बंद निवारे हरी जी तुम भक्तों के रखवाले प्रभू जी तुम भक्तों के रखवाले
जो जन तुम्हारा गावें निश्चय ही निर्भय पद पावें हरी जी सबके कष्ट मिटावें सब भक्तों को तुमने तारे हरी जी तुम भक्तों के रखवाले प्रभू जी तुम भक्तों के रखवाले
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