भगवान तुम्हारे चरणों में मैं तुम्हें रिझाने आई हूं वाणी में तनिक मिठास नहीं पर विनय सुनाने आई हूं
प्रभू का चरणामृत लेने को है पास मेरे कोई पात्र नही आंखों के दोनों प्यालों में कुछ भीख मांगने आई हूं
तुमसे लेकर क्या भेंट धरूं भगवान आपके चरणों में मैं भिक्षुक हूं तुम दाता हो सम्बन्ध बताने आई हूं
सेवा की कोई वस्तु नहीं फिर भी मेरा साहस देखो रो रो कर आज आंसुओं का मैं हार चढ़ाने आई हूं
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