जगत जननी मेरी मैया मेरा उद्धार कैसे हो
न सोना है न चांदी है न हीरा है न मोती है तेरे दरबार में मैया तेरा श्रंगार कैसे हो
न विद्या है न वाणी है न वाणी में मधुरता है तेरे दरबार में मैया तेरा गुणगान कैसे हो
न श्रद्धा है न भक्ति है न मुझमें इतनी शक्ति है तेरे भक्तों का ओ मैया बता कल्याण कैसे हो
न केवट है न नैया है न मेरा कोई खिवैया है पड़ी सागर में है नैया मां भव से पार कैसे हो
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