राम घर आये मेरे भाग्य जग गये सूनी कुटिया के मेरे भाग्य खुल गये
गंगाजल पानी से चरण धुलाऊंगी देख छवि राम की मैं हरषाऊंगी जन्मों के सारे पाप धुल गये सूनी कुटिया के मेरे भाग्य खुल गये
मीठे मीठे बेरों का भोग लगाऊंगी धीरे धीरे हाथों से बिजनी डुलाऊंगी जिन्दगी के सारे दुख मिट गये सूनी कुटिया के मेरे भाग्य खुल गये
अपने राम को झूला झुलाऊंगी मधुर मधुर मैं भजन सुनाऊंगी तध मन झूम उठा फूल खिल गये सूनी कुटिया के मेरे भाग्य खुल गये
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