गुरु जी अवगुण से भरा शरीर बताओ कैसे तारोगे
न मैं गंगा जमुना नहाई हरि की पौड़ी जा न पाई गुरु जी मेरी मारी है तकदीर बताओ कैसे तारोगे
न मैंने बरगद पीपल सींचे सब दिन मोह माया मे बीते गुरू जी मैंने दिया न तुलसी मे नीर बताओ कैसे तारोगे
न मैं मन्दिर तीर्थ गई न पितरों पे शीष झुकाये गुरु जी मुझे कोई बताओ तरकीब बताओ कैसे तारोगे
भूखे को जल पान दिया न निर्धन को मैंने दान दिया न गुरु जी मैं ऐसी हुई वे पीर बताओ कैसे तारोगे
न मैं राधा मीरा बाई न मैं सीता कर्मा बाई गुरु जी मेरी तुम ही हो जागीर बताओ कैसे तारोगे
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