तकदीर बनाने वाले ने क्या लिख दिया मेरे नसीबों में
मीरा का पापा पूंछ रहा मीरा क्या दुख है तेरे तन मन में पापा के आगे कह न सकी कहीं फिर न भेज दें उस घर में
मीरा का भाई पूंछ रहा मीरा क्या दुख है तेरे तन मन में भाई के आगे कह न सकी कहीं फौज न भेज दे उस घर में
मीरा की भाभी पूंछ रही मीरा क्या दुख है तेरे तन मन में भाभी के आगे कह न सकी कहीं हंसी न कर दें पनघट पे
मीरा की सखियां पूंछ रहीं मीरा क्या दुख है तेरे तन मन में सखियों के आगे कह न सकी कहीं मुंह न फेर लें सत्संग में
मीरा के सतगुरु पूंछ रहे मीरा क्या दुख है तेरे तन मन में सतगुरु के आगे मीरा रो पड़ी मुझे पार लगा दो पल भर में
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