गुरु पास रहें या दूर रहें जीवन में समाये रहते हैं इतना तो बता दे कोई मुझे क्या कृपा इसी को कहते हैं
जीवन की घड़ियां थोड़ी हैं दुनिया की मंजिल लम्बी है छोड़ो इन पर जिम्मेदारी गुरु पार लगाये रहते हैं
सुख में भी आप नजर आते दुःख में भी धैर्य बंधाते हैं दोनों को समझो एक समान यह याद दिलाते रहते हैं
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