मोर छड़ी लहराई रे रसिया ओ सांवरा तेरी बहुत बड़ी सकलाई रे
मोर छड़ी का जादू निराला इसको थामे है खाटू वाला , लीले चढ़ के दौड़ा ये आये सारे संकट पल में मिटाये रसिया ओ सांवरा तेरी बहुत बड़ी सकलाई रे
श्याम बहादुर दर्शन को आये ताले मन्दिर के बंद पाये , मोर छड़ी से ताले को तोड़ा शीष झुकाकर बाबा को बोला रसिया ओ सांवरा तेरी बहुत बड़ी सकलाई रे
मोर छड़ी की महिमा है भारी श्याम धनी को लागे है प्यारी भक्तों को रोते से हंसाये सारे संकट पल में मिटाये रसिया ओ सांवरा तेरी बहुत बड़ी सकलाई रे
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