हमारी गंगा मैया पावन बहती निर्मल निर्मल शीतल तुम नहा लो भक्तों गंगा मैया प्यार से एक डुबकी लगाओ प्यारे पाप धुल
जायेंगे सारे तुम नहा लो भक्तों गंगा मैया प्यार से
गंगा स्वर्ग लोक से उतरीं और ब्रमहलोक में आईं ब्रम्हा कमंडल में आईं बड़े प्यार से
गंगा ब्रमहलोक से चलीं और कैलाश पे आईं शिव की जटा में समाईं बड़े प्यार से
गंगा कैलाश से चलीं और हरिद्वार में आईं हरि की पौड़ी में समाईं बड़े प्यार से
गंगा हरिद्वार से चलीं और प्रयागराज में आईं भागीरथ ने पूजा करी बड़े प्यार से
गंगा प्रयागराज से चलीं गंगासागर में समाईं कपिल मुनि ज्ञान सुनाये बड़े प्यार से
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