हरी भजन : हरी नाम रस पी डरता है मन क्यों सुबह-शाम पी (कार्तिक पूर्णिमा स्पेशल मनमोहक भजन)

 

पीना है तो पी हरि नाम रस पी डरता है मन क्यों सुबह-शाम पी 

अर्जुन ने पिया तो कमाल हो गया गीता में प्रभू का दीदार हो गया पीना है तो पी हरि नाम रस पी डरता है मन क्यों सुबह-शाम पी 

द्रोपदी ने पिया तो कमाल हो गया साड़ी में प्रभू का दीदार हो गया 

मीरा ने पिया तो कमाल हो गया प्याले में प्रभू का दीदार हो गया 

शबरी ने पिया तो कमाल हो गया बेरों में प्रभू का दीदार हो गया

 प्रहलाद ने पिया तो कमाल हो गया खम्भे में प्रभू का दीदार हो गया 

अहिल्या ने पिया तो कमाल हो गया पत्थर में प्रभू का दीदार हो गया 




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