कुर्बान क्यों न जाऊं दरबार है निराला ठकुरानी राधा रानी ठाकुर हैं नंदलाला
क्या खूब सज रही हैं झूले पे राधा रानी , झूला झूला रहे हैं हंस हंस के नंदलाला
कुर्बान क्यों न जाऊं दरबार है निराला
सब पूछती हैं सखियां पहचान इनकी क्या है , सिर पे मुकुट है बांधा और श्याम रंग है काला
कुर्बान क्यों न जाऊं दरबार है निराला
सखियों के संग में दोनों रास रचा रहे हैं , इस ओर राधा रानी उस ओर नंदलाला
कुर्बान क्यों न जाऊं दरबार है निराला
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