माता भजन : मैं दौड़ी दौड़ी मन्दिर में आऊं मेरी (ऐसा भजन जिसे बार बार सुनने का मन करेगा)

 

 

मैं दौड़ी दौड़ी मन्दिरों में आऊं मेरी मां आऊं मेरी मां मेरा मन लागे तेरी सेवा में 

मेरी हो मैया तुम्हें टीका मैं पहनाऊं मै खड़ी खड़ी बिंदिया लगाऊं मेरी मां मेरा मन लागे तेरी सेवा में 

मेरी हो मैया तुम्हें नथुनी मैं पहनाऊं मैं खड़ी खड़ी माला पहनाऊं मेरी मां मेरा मन लागे तेरी सेवा में 

मेरी हो मैया तुम्हें चूड़ियां मैं पहनाऊं मैं खड़ी खड़ी मेहंदी लगाऊं मेरी मां मेरा मन लागे तेरी सेवा में 

मेरी हो मैया तुम्हें पायल मैं पहनाऊं मैं खड़ी खड़ी महावर लगाऊं मेरी मां मेरा मन लागे तेरी सेवा में 

मेरी हो मैया तुम्हें लंहगा मैं पहनाऊं मैं खड़ी खड़ी चुनरी ओढाऊं मेरी मां मेरा मन लागे तेरी सेवा में 

मेरी हो मैया तुम्हें भोग मै लगाऊं मै खड़ी खड़ी तुमको जिमाऊं मेरी मां मेरा मन लागे तेरी सेवा में 




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