शेरावाली का खुला है दरबार भूप सब जुड़ आये
ब्रमहलोक से ब्रह्म जी आये हाथ में वेद पुराण वहीं से वांचत आये शेरावाली का सजा दरबार भूप सब जुड़ आये
कैलाश पर्वत से भोले जी संग नादिया वैल वहीं से बैठत आये माता रानी का सजा है दरबार भूप सब जुड़ आये
इन्द्र लोक से इन्द्र जी आये छाई घटा घनघोर वहीं से बरसत आये शेरावाली का खुला दरबार भूप सब जुड़ आये
लंका पुरी से रावण आये बीस भुजा दस शीष वहीं से गरजत आये शेरावाली का खुला दरबार भूप सब जुड़ आये
पाताल लोक आईं भवानी हाथ खड़ग तलवार सिंह बैठत आईं शेरावाली का खुला है दरबार भूप सब जुड़ आये
सुमिर सुमिर मैया तेरो जस गायें शरण छोड़ कहां जाऊं तुम्हारी आशा है
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