कैसी सुंदर हिमालय नगरी भोले पैदल चले आ रहे हैं
उनकी जटाओं में गंगा बिराजे वो बहाते चले आ रहे हैं
उनके माथे पे चंदा बिराजे चमकाते चले आ रहे हैं
उनके हाथों में डमरू बिराजे वो बजाते चले आ रहे हैं
उनके ह्रदय में गौरा बिराजे दर्शन देते चले आ रहे हैं
उनकी गोदी में गणपति बिराजे वो खिलाते चले आ रहे हैं
उनके चरणों में भक्त बिराजे झोली भरते चले आ रहे हैं
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