शबरी कर रही रास्ता साफ आज मेरे राम जी आयेंगे प्रभू मेरी कुटिया में आयेंगे
आज मैं गंगा जी जाऊंगी वहां से जल भर लाऊंगी गंगा जल से अपने प्रभू के चरण धुलाऊंगी
आज मैं बागों में जाऊंगी वहां से फूल ले आऊंगी फूलों की माला अपने प्रभू के गले में पहनाऊंगी
आज मैं वन में जाऊंगी वहां से बेर मैं लाऊंगी अपने प्रभू को मीठे मीठे बेर खिलाऊंगी
पेड़ पे झूला डालूंगी राम की बाट निहारूंगी अपने प्रभू को उस झूले में झूला झुलाऊंगी
आज मैं खाट बिछाऊंगी फूलों से उसे सजाऊंगी अपने प्रभू को उसमें सुला के चरण दबाऊंगी
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