कैसी शुभ घड़ी आई मैया मेरे घर आईं मेरी अंखियां खुशी से आज रो पड़ीं मेरी मैया ने पवित्र कर दी झोपड़ी
तुम्हें टीका पहनाऊं तुम्हें बिंदिया लगाऊं मैं तो जाने न दूंगी किसी ओर से मैं तो बांध लूंगी भावना की डोर से
तुम्हें झुमका पहनाऊं तुम्हें माला पहनाऊं तुम्हें जाने न दूंगी किसी ओर से मैं तो बांध लूंगी भावना की डोर से
तुम्हें कंगन तुम्हें मेहंदी लगाऊं तुम्हें पायल पहनाऊं तुम्हें महावर लगाऊं मै तो जाने न दूंगी किसी ओर से मैं तो बांध लूंगी भावना की डोर से
तुम्हें चोला पहनाऊं तुम्हें चुनरी ओढाऊं मैं तो जाने न दूंगी किसी ओर से मैं तो बांध लूंगी भावना की डोर से
तुम्हें भोग लगाऊं तुम्हें हलुआ पूड़ी खिलाऊं मैं तो जाने न दूंगी किसी ओर से मैं तो बांध लूंगी भावना की डोर से
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