मां ओ मां तुझे ढूडूं आज कहां पर्वत पर्वत ढूंढा मैंने मिला न कोई निशां मां ओ मां तुझे ढूडूं आज कहां
तूने मुझको जन्म दिया मां मैं तेरी सन्तान हूं तू तो है मां भक्षणहारी मैं बेटी नादान हूं मेरी खुशियों की दुनिया हो गई आज वीरां मां ओ मां तुझे ढूडूं आज कहां
नैनों में है ज्योति तुम्हारी हृदय में तस्वीर है मेरे हिस्से में लिख दी मां अंसुवन की जागीर है तू रूठी तो दुनिया रूठी रूठा सारा जहां मां ओ मां तुझे ढूडूं आज कहां
होंठों पे नाम तुम्हारा दिल में तेरी याद है पता नही कब सुन पाओगी मेरी ये फरियाद है दिल ही दिल में रह न जाए ये दिल के अरमां मां ओ मां तुझे ढूडूं आज कहां
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