कृष्ण भजन : शिकायत सुन लो रे यशोदा अपने (जन्माष्टमी विशेष आनंदमय कर देगा आपको ये भजन)

 

 

शिकायत सुन लो रे यशोदा अपने लाल की 

फुलवा तोड़न जब मैं जाऊं फूल मेरे बिखराये मीठी मीठी बतियां बनाये खड़ा खड़ा मुस्काये पकड़न जाऊं पकड़ न

 पाऊं बागों में छिप जाये नैन लड़ावे रे यशोदा तेरो लाल रे शिकायत सुन लो रे यशोदा अपने लाल की 

पनियां भरने जब मैं जाऊं पनघट पे मिल जाये पीछे से मेरी चुनरी खींचे गागर को गिराये जब मैं पीछे मुड़ के देखूं नजर 

कहीं न आये मेरी चुनरी भिगोई रे यशोदा तेरे लाल ने शिकायत सुन लो रे यशोदा अपने लाल की 

माखन बेचन जब मैं जाऊं रास्ते में मिल जाए छीन मटकिया माखन खाये ग्वालों को खिलाये जब मैं उसको मना करूं तो 

ठेंगा मुझे दिखाये मेरी मटकी फोड़ी रे यशोदा तेरे लाल ने शिकायत सुन लो रे यशोदा अपने लाल की 

यमुना नहाने जब मैं जाऊं पीछे पीछे आये चीर चुराये कदंब पे बैठे मुरली मधुर बजाये मैं बेचारी जल के अन्दर लाज 

शरम मोहे आये मोहे बहुत सतायो रे यशोदा तेरे लाल ने शिकायत सुन लो रे यशोदा अपने लाल की  


                                                


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