कृष्ण भजन : पंख जो होते मैं उड़ जाती (जन्माष्टमी स्पेशल मन को छूने वाला भजन)



पंख जो होते मैं उड़ जाती नंद बाबा के द्वार उमड़ घुमड़ मेरो जियरा रोवे बहे दूध की धार लाल मेरा रोवत होयगो कि भूखो सोवत होयगो
मेरे पति पलरा में धर के बाय गोकुल में पंहुचाये , मेरो लाल भयो जा दिन से मैंने दर्शन तक न पाये , जाने कैसे राखत होयगीबारो राजकुमार लाल मेरो रोवत होयगो कि भूखो सोवत होयगो
कन्या लेके यशोदा जी की अपनी गोद लिटाई , दुष्ट कंस ने आयके वो पत्थर पे दे मारी , सूनी गोदी मेरी रह गई मैं रह गई मन मार लाल मेरो रोवत होयगो कि भूखो सोवत होयगो
ये कंस हो गयो बैरी मेरे सात पुत्र मरवाये , लियो बदलो कौन जन्म को हम जेलन में दुःख पाये , हाथ हथकड़ी पायन बेड़ी जेल के बंद किवाड़ लाल मेरो रोवत होयगो कि भूखो सोवत होयगो
मैं कैसे पता लगाऊं कोई है न पास हमारे , कोई तो बताय दे आके लग रहे जेल के ताले , फाटक बंद जेल के हैं सब ठाड़े पहरेदार लाल मेरो रोवत होयगो कि भूखो सोवत होयगो


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