सांवरिया ले चल परली पार जहां बिराजे राधा रानी तेरी अलबेली सरकार कन्हैया ले चल परली पार
गुण अवगुण सब तेरे अर्पण पाप पुण्य सब तेरे अर्पण ये जीवन मन तेरे अर्पण मैं तेरे चरणों की दासी मेरे प्राण आधार सांवरिया ले चल परली पार
तेरी आस लगा बैठी हूं लज्जा शील गंवा बैठी हूं अपना आप लुटा बैठी हूं सांवरिया मैं तेरी रागिनी तू मेरा मल्हार सांवरिया ले चल परली पार
तेरे बिन कोई चाह नहीं है कोई सूझती राह नही है जग की कोई परवाह नही है मेरे प्रियतम मेरे माझी कर दो बेड़ा पार कन्हैया ले चल परली पार
आंनद धन यहां बरस रहा है पत्ता पत्ता हरस रहा है हरि बेचारा तरस रहा है बहुत हुआ अब हार गयी मैं क्यों छोड़ा मझधार सांवरिया ले चल परली पार
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