ग्यारस मैया से मिलन कैसे होय खिड़की तो सातों बंद पड़ीं
पहली खिड़की खोल के देखा उसमें घोर अंधेरा मुझमें इतनी समझ नही आई कि दीया बाती कर देती
दूजी खिड़की खोल के देखा उसमें गंगा मैया मुझमें इतनी समझ नही आई कि डुबकी लगाय लेती
तीजी खिड़की खोल के देखा उसमें कृष्ण कन्हैया मुझमें इतनी समझ नही आई कि पूजा पाठ कर लेती
चौथी खिड़की खोल के देखा उसमें कपिला गाय मुझमें इतनी समझ नही आई कि गऊ सेवा कर लेती
पांचवीं खिड़की खोल के देखा उसमें तुलसी मैया मुझमें इतनी समझ नही आई कि जल मैं चढ़ाय देती
छठवीं खिड़की खोल के देखा उसमें ब्राम्हण देवता मुझमें इतनी समझ नही आई कि दान पुण्य कर लेती
सातवीं खिड़की खोल के देखा उसमें ग्यारस मैया मैं तो हो गई भव से पार खिड़की तो सारी खुली पड़ीं
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