राम भजन : अवधपुरी कैसे जायेंगे बिन भाई लखन के (बहुत ही प्यारा भजन)



अवधपुरी कैसे जायेंगे बिन भाई लखन के
बीते रैन हनुमत नही आये देख दशा मेरा जिया घबड़ाए लंका पे विजय कैसे पायेंगे बिन भाई लखन के
पूछेंगी जब छोटी माता क्या जवाब दूंगा हे विधाता उर्मिला को कैसे समझायेंगे बिन भाई लखन के
मेघनाद को कौन अब मारे बिना लखन के न हो पावे कैसे हम फर्ज निभायेंगे बिन भाई लखन के
कहेगा जग ये मुझको विधाता नारी के पीछे गंवाया है भ्राता इससे अच्छा हम मर जायेंगे बिन भाई लखन के
इतने में हनुमत बूटी ले आये लखन भैया को घोल पिलाये उठ बैठे लक्ष्मन लाल रे राम गले लिपटाये


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