जब क्यों पाली थी पापाजी बड़े लाड़-प्यार से अब क्यों करते हो विदाई बड़ी धूमधाम से
मेरा टीका तो बनवाना किसी अच्छे सुनार से उसमे नग जड़वाना किसी बुद्धिमान से..
जब क्यों पाली थी ताऊ जी बड़े लाड़-प्यार से अब क्यों करते हो विदाई बड़ी धूमधाम से
मेरा लंहगा तो मंगवाना किसी अच्छी दुकान से उसमें जरी तो लगवाना किसी बुद्धिमान से
जब क्यों पाली थी चाचा जी बड़े लाड़-प्यार से अब क्यों करते हो विदाई बड़ी धूमधाम से
No comments:
Post a Comment