सदगुरुजी का भजन : आनंद ही आनंद बरस रहा (बहुत मीठा भजन बुद्ध पूर्णिमा स्पेशल)



आनंद ही आनंद बरस रहा बलिहारी मेरे सतगुरु की
धन्य भाग्य हमारे आज हुए शुभ दर्शन ऐसे सतगुरु के पावन हो गई भारत भूमि बलिहारी मेरे सतगुरु की
क्या रूप ये अनुपम पाया है सोहे जैसे तारों बिच चंदा
मोहिनी वाणी सूरत मूरत बलिहारी मेरे सतगुरु की
 क्या ज्ञान छटा जैसे इन्द्र घटा बरसत वाणी अम्रत धारा
वो मधुरी मधुरी अजब धुनी बलिहारी मेरे सतगुरु की
गुरु ज्ञान रूपी जल बरसा कर हरि नाम रूपी जल बरसा कर गुरु धर्म बगीचा लगा दिया
हरि प्रेम बगीचा लगा दिया खिल रही है कैसी फुलवारी बलिहारी मेरे सतगुरु की


Share:

No comments:

Post a Comment