सदगुरुजी का भजन : गुरु बिन नैया डामाडोल ||सुंदर भजन



गुरु बिना नैया डामाडोल हे मन सतगुरु सतगुरु बोल
१- मां के पेट से जन्म लियो है बंधी गठरिया गोल हे मन….
२- जन्म लियो धरती पर आयो बजे नगाड़े ढोल हे मन..
३- पांच वर्ष भयो पढ़ने को जायो बोले मीठे बोल हे मन...
४- बीस वर्ष भयो ब्याह रचायो बोले कड़वे बोल हे मन...
५- गई जवानी आयो बुढ़ापा लेकर लठिया डोल हे मन..
६- धर्मराज जब लेने आए ले चल ले चल होय हे मन..
७- धर्मराज जब लेखा पढ़ेंगे वहीं खुलेगी तेरी पोल हे मन..

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