हरी भजन : उमर सारी बीत गयी माला न फेरी (दिल में उतरने वाला भजन जरुर सुनें)



उमर सारी बीत गयी माला न फेरी
१- भोर हुई चिड़िया चहचानी, मै घर घर मे डोल आई माला न फेरी..
 २- नहाय धोय आसन पर बैठी , निंदिया बैरी आय गई माला न फेरी..
 ३- हुई दोपहर जब भोजन पकाया, मै गप गप खाय गई माला न फेरी...
४- शाम हुई जब निकले हैं तारे, मैं डाल खटोला सोय गई माला न फेरी..
५- धर्मराज जब लेखा खोले, मैं थर थर कांप गई माला न फेरी..
 ६- यम के दूत जब लेने को आए मै सच सच बोल गयी माला न फेरी..

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