बंशी बजाने वाले पहले क्यों प्रीति लगाई जरा बोलो न कृष्ण कन्हाई जरा बोलो न कृष्ण कन्हाई
दिलवर हमारा तुमसे नाता पुराना , नाता पुराना लेकिन तुमने न जाना , अच्छा नही है मोहन आंखें चुराना ,
छोड़ो बहाना मोहन दीनो की तुमको दुहाई जरा बोलो न कृष्ण कन्हाई जरा बोलो न कृष्ण कन्हाई
कैसे निकलोगे मोहन दीनो के दिल से , दिल में बिठाया तुमको बड़ी मुश्किल से ,माना तुम्हें अभी फुरसत नही है , लेकिन इस दिल में अभी उल्फत वही है , मालुम नही था मुझको निकलोगे तुम हरजाई जरा बोलो न कृष्ण कन्हाई जरा बोलो न कृष्ण कन्हाई
इतना क्यों करता मोहन धोखा तुम्हारा , बंशी बजाके लूटा दिल ये हमारा ,घायल बनाया तुमने बांकी अदा से ,दीवाना हूं मैं तेरा मोहन सदा से ,
तुम ही बताओ मोहन कैसे सहेंगे ये जुदाई जरा बोलो न कृष्ण कन्हाई जरा बोलो न कृष्ण कन्हाई
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