लक्ष्मण से पूछें राम मेरी सीता कहां बताओ मेरी सीता जनक दुलारी थी प्राणों से भी प्यारी ,
लक्ष्मण तुम थे पहरेदार मेरी सीता कहां बताओ सुन बोला जटायु राजा मैंने देखी सीता माता ,
किये लाख जतन छुड़वाय मेरी सीता कहां बताओ लंका का रावण आया साधू का भेष बनाया ,
सूनी कुटिया अलख जगाय मेरी सीता कहां बताओ सीता भिक्षा ले आई बोला बाहर लाओ माई ,
रथ में पकड़ लियो बैठाय मेरी सीता कहां बताओ
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