निर्गुण भजन : बाबा मन की आंखें खोल (बहुत ही मनमोहक भजन प्रस्तुत है)



बाबा मन की आंखें खोल बाबा दिल की आंखें खोल मुखड़ा क्या देखे दर्पण में जिसको दया धर्म नही मन में कागज की एक नाव बनाई छोड़ दी गंगाजल में धर्मी धर्मी पार उतर गये पापी रह गए जल में
बाबा मन की आंखें खोल बाबा दिल की आंखें खोल
चुन चुन कलियां महल बनाया बन्दा कहे घर मेरा न घर तेरा न घर मेरा चिड़िया रैन बसेरा
बाबा मन की आंखें खोल बाबा दिल की आंखें खोल

Share:

No comments:

Post a Comment