सांई राम सांई राम मन में जपूं रे आऊं मैं तेरे धाम रे मेरे सांई बाबा
१- गंगा जल से चरण धुलाऊं माथे चन्दन का तिलक लगाऊं चरणों में शीश झुकाऊं रे मेरे सांई बाबा
२- अन्धन को आंख देत कोढ़ी को काया बाजिन को पुत्र देत निर्धन को माया मैं भी अरज लगाऊं रे मेरे सांई बाबा ३- लड्डुओं का भोग लगाऊं मेरे बाबा फूलों का हार चढ़ाऊं मेरे बाबा रज रज दर्शन पाऊं रे मेरे सांई बाबा
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