कृष्ण भजन : लगाय दिल प्रीति क्यों तोड़ी रे बतादो मनमोहन (मस्त कृष्ण भजन आपके लिए)



लगाय दिल प्रीति क्यों तोड़ी रे बतादो मेरे मोहन मजबूरी रे
सो कान्हा मेरे बागों में रोज तुम जाते मालिन संग प्रीति क्यों जोड़ी रे लगाय दिल प्रीति क्यों तोड़ी रे
सो कान्हा मेरे तालों में रोज तुम जाते धोबिन संग प्रीति क्यों जोड़ी रे लगाय दिल प्रीति क्यों तोड़ी रे
सो कान्हा मेरे कुयनों में रोज तुम जाते कहरिन संग प्रीति क्यों जोड़ी रे लगाय दिल प्रीति क्यों तोड़ी रे
सो कान्हा मेरे महलों में रोज तुम जाते रानी संग प्रीति क्यों जोड़ी रे लगाय दिल प्रीति क्यों तोड़ी रे
सो कान्हा मेरे अब न और तड़पाओ सुनादो धुन मुरली की प्यारी रे लगाय दिल प्रीति क्यों तोड़ी रे

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