ऊंचे पर्वत भवन निराला कैसे घर को जायें हमे क्या हो गया है हमें क्या हो गया है.
ओ मेरी शेरावाली टीका तुम्हारा बड़ा प्यारा है,
देखत देखत मन नहीं भरता कैसे घर को जायें हमे क्या हो गया है..
इसी तरह पूरा है आगे हरवा,
चूड़ी ,
तगड़ी ,
पायल ,
चुनरी
हैलो दोस्तों हरी रस माला में आपका स्वागत है | मेरा नाम नमता भदौरिया है | मैं नई दिल्ली में रहती हूँ | अगर आपको मेरे भजन पसंद आये तो लाइक, शेयर, कमेंट जरूर करे |
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