प्रहलाद खड़े रोते हैं भगवान कहां सोते हैं
मेरे भैया बड़े अन्यायी हैं मुझे पहाड़ों से फिकवाया है , मेरा हरि नाम छुड़वाया है मेरा हरि नाम न छूटे चाहें भ्रम भैया का टूटे
प्रहलाद खड़े रोते हैं भगवान कहां सोते हैं
मेरे पिता बड़े अन्यायी हैं मुझे खम्भे से बंधवाया है , मेरा हरि नाम छुड़वाया है मेरा हरि नाम न छूटे चाहें भ्रम पिता का टूटे
प्रहलाद खड़े रोते हैं भगवान कहां सोते हैं
मेरी वुआ बड़ी अन्यायी हैं मुझे अग्नि में जलवाया है , मेरा हरि नाम छुड़वाया है मेरा हरि नाम न छूटे चाहें भ्रम वुआ का टूटे
प्रहलाद खड़े रोते हैं भगवान कहां सोते हैं
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