संझा हुआ दर्द सबेरे हुए लालना सैंया जी हमारे कहीं जायें न निकल होगी बड़ी मुश्किल
बड़ी मुश्किल से मैंने सासू को बुलाया ,चरूये की बेरा कहीं जायें न मचल होगी बड़ी मुश्किल
बड़ी मुश्किल से मैंने जिठनी को बुलाया , लड्डूओं की बेरा कहीं जायें न मचल होगी बड़ी मुश्किल
बड़ी मुश्किल से मैंने देवर को बुलाया , बंशी की बेरा कहीं जायें न मचल होगी बड़ी मुश्किल
बड़ी मुश्किल से मैंने ननदी को बुलाया ,सतिया की बेरा कहीं जायें न मचल होगी बड़ी मुश्किल
बड़ी मुश्किल से मैंने सखियों को बुलाया , मंगल की बेरा कहीं जायें न मचल होगी बड़ी मुश्किल
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