मत चलो संग सीता मेरे तुम वन में नही रह पाओगी
तुम वन में नही रह पाओगी पैदल चलते थक जाओगी
मत चलो संग सीता मेरे
मेवा मिष्ठान नही वन में तुम्हें व्यंजन की याद सतायेगी
खाने को मिलेंगे सूखे फल तुम कैसे उन्हें खा पाओगी
मत चलो संग सीता मेरे
मखमल का बिस्तर नही वहां महलों की याद सतायेगी
धरती का बिस्तर मिले वहां तुम कैसे वहां पर सोओगी
मत चलो संग सीता मेरे
शेर चीता दहाड़ेंगे वन में जब तुम सुनके वहां डर जाओगी
इसलिए न जाओ संग मेरे तुम दुख ही दुख वहां पाओगी
मत चलो संग सीता मेरे
सीता को राम ने समझाया पर सीता एक नही मानी
पतिब्रत मुझे धर्म निभाना है प्रभू संग तुम्हारे जाऊंगी
चाहें कितने कष्ट मिलें मुझको मैं संग आपके जाऊंगी
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