राम भजन : मैंने ओढ़ी राम चुनरिया रे मोहे राम नाम धुन (मनमोहक प्रस्तुति के साथ राम भजन)



मैंने ओढ़ी राम चुनरिया रे मोहे राम नाम धुन लागी
कोई तो ढूंड़े पर्वत ऊपर और कोई ढूंड़े मन में , मैं तो बस इतना ही जानूं राम है मेरे मन में , मोहे खुद की नाही खबरिया रे मोहे राम नाम धुन लागी
तन मन में और कण कण में हैं मेरे राम समाये ,जिधर भी देखूं मेरे राम जी खड़े खड़े मुस्करायें , मैं तो नाचूं बीच बजरिया रे मोहे राम नाम धुन लागी
महल हवेली छोड़ी मैंने छोड़े जग के बन्धन ,लाज शरम सब छोड़ी मैंने हुआ हरि का दर्शन , मोहे जग की नाही खबरिया रे मोहे राम नाम धुन लागी
हरि नाम की माला लेकर जपूं मैं शाम सबेरे , मैं तो हो गई अपने राम की राम जी हो गये मेरे , मैं तो छलकी बीच डगरिया रे मोहे राम नाम धुन लागी


Share:

No comments:

Post a Comment