श्याम सुन्दर सबेरे सबेरे तुम मुरली बजाया करो न
नाम मुरली मे ले लेके मेरा मुझे घर से बुलाया करो न
तुम तो ओढ़े हो काली कमलिया और हाथों में लेके मुरलिया, मेरे घर के अंगाड़े पिछाड़े तुम चक्कर लगाया करो न श्याम सुन्दर सबेरे सबेरे तुम मुरली बजाया करो न
घर में माखन की कोई कमी न जितना चाहो तुम माखन खालो , पर सखियों के घर जा जा के तुम माखन चुराया करो न श्याम सुन्दर सबेरे सबेरे तुम मुरली बजाया करो न
बड़ी मुद्दत से आस लगी है श्याम आयेंगे रास रचाने ,पर रास रचाते रचाते तुम छुप छुप के जाया करो न
श्याम सुन्दर सबेरे सबेरे तुम मुरली बजाया करो न
बड़ी पावन है बृंदावन की गलियां जहां रहते हैं कृष्ण कन्हैया ,सबका हंसना हंसाना तो अच्छा पर हंस के रुलाया करो न श्याम सुन्दर सबेरे सबेरे तुम मुरली बजाया करो न
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