कि हंस हंस देखत मेरी ओर कि मुड़ मुड़ देखत मेरी ओर कन्हैया नटवर नंद किशोर कि हंस हंस देखत मेरी ओर
जब जाऊं मैं पनिया भरन को वहां खड़ो मेरी देखन को
बहुत करी वाने पटका पटकी दई मटकिया फोड़
कन्हैया देखत मेरी ओर सांवरिया देखत मेरी ओर
निधिवन में वो रास रचाये ताली दे-दे हमे हसांये
सांची कहूं कुछ कही न जाये दिल में उठे हिलोर
कन्हैया देखत मेरी ओर सांवरिया देखत मेरी ओर
नन्ही नन्ही बुंदियां मेघा बरसे मन मेरा दर्शन को तरसे
सब भक्तों के मन में बस गयो सुंदर सा चितचोर
कन्हैया देखत मेरी ओर सांवरिया देखत मेरी ओर
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