बंशी बजाय के किधर गयो रे मेरो बांके सांवरिया
जब से सुनी तेरी बैरन मुरलिया, दिन नही चैन रात आवे न निंदिया न जाने जादू क्या कर गयो रे मेरो बांके सांवरिया
बैरन हो गई श्याम रात की निंदिया, भूल सकूं न श्याम तेरी सुरतिया घाव कलेजवा में कर गई रे मेरो बांके सांवरिया
तुमसे मिलन को जियरा तरसे, नैना मेरे सावन जैसे बरसें बरस बरस के बह गयो रे मेरो बांके सांवरिया
अब तो हमको मत तरसाओ, बांके बिहारी मोहे दरश दिखाओ काहे को हमको बिसार दियो रे मेरो बांके सांवरिया
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