शंकर जी के लाला लम्बी सूंड़ वाला मैं करुं वंदना गौरी नंदना
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी मैं करुं वंदना गौरी नंदना
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा मैं करुं वंदना गौरी नंदना
अन्धन को आंख देत कोढ़िन को काया बाजिन को पुत्र देत निर्धन को माया मैं करुं वंदना गौरी नंदना
दीनन की लाज रखो शम्भु सुतवारी कामना को पूरा करो जाऊं बलिहारी मैं गौरी नंदना करुं वंदना
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