मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना भूल जाने के काविल नही है
१- जब से देखा है जलवा तुम्हारा कोई आंखों में जचता नही है, यूं तो देखे बहुत नूर वाले सारे आलम मे तुमसा नही है मेरे...
२-तेरी सूरत पे कुर्बान जाऊं तेरी आंखें हैं जाम के प्याले,
मुझको नजरों से तूने पिलाई होश आने के काविल नही हैं मेरे..
३- मैंने पूछा कि फिर कब मिलेगे पहले मुस्काए फिर हंस के बोले , सबके दिल मे हम आये हुए हैं अब तो जाने के काविल नही हैं मेरे..
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