सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गई अंखियां , बचाईं थी बहुत लेकिन निगोड़ी लड़ गई अंखियां..
१- न जाने क्या किया जादू ये तकती रह गई अंखियां।
चमकती हाय बरछी सी कलेजे गड़ गई अंखियां सखी री..
२- चहूं दिश रस भरी चितवन मेरी आंखों में लाते हो ।
कहो कैसे कंहा जाऊं ये पीछे पड़ गई अंखियां सखी री..
३- भले तन से प्राण निकलें मगर ये छवि न निकलेगी ।
अंधेरे मन के मंदिर मे मणि सी गड़ गई अंखियां सखी री
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