न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की करो अब तो दृष्टि प्रभु करुणा की.. बड़ी आरजू थी मुलाकात की
१-गये जब से मथुरा को मोहन मुरारी, सभी गोपियां बृज की ब्याकुल थी भारी, कहां दिन बिताया कहां रात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की
२- चले आओ अब तो ओ प्यारे कन्हैया, ये सूनी है कुंजन और व्याकुल हैं गैया, सुना इन्हें अब तो धुन मुरली की बड़ी आरजू थी मुलाकात की
३- हम बैठे है गम उनका दिल में ही पाले, भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले ,न उनकी सुनी न कुछ अपनी कही बड़ी आरजू थी मुलाकात की
४- तेरा मुस्कुराना भला कैसे भूलूं, वो कदमन की छैयां वो सावन के झूले, न कोयल की कूकू न पपीहा की पी बड़ी आरजू थी मुलाकात की
५- तमन्ना यही है कि आयेंगे मोहन, मैं वारूंगी तन मन और वारूंगी जीवन, हाय मेरा कैसा ये बिगड़ा नसीब बड़ी आरजू थी मुलाकात की
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