कृष्ण भजन :सखी री हम होते बृज के मोर ( कान्हा जी का बहुत प्यारा भजन)


सखी री हम होते बृज के मोर
१- कंहा पर रहते कंहा पर बसते, सखी री हम कंहा पर करते किलोर सखी री हम होते बृज के मोर
२- मथुरा रहते बृंदावन बसते, सखी री हम गोकुल करते किलोर सखी री हम होते बृज के मोर
३- उड़ उड़ पंख गिरे जमुना में, सखी री उन्हें बीनत नंद किशोर सखी री हम होते बृज के मोर
४- उन पंखन को मुकुट बनायो, सखी री उन्हें पहने नंद किशोर, सखी री उन्हें देखें तीनों लोक,सखी री उन्हें देखें जग के लोग सखी री हम होते बृज के मोर
५- सखी री हम मथुरा जाते रोज ,सखी री हम जमुना नहाते रोज सखी री हम होते बृज के मोर
६- सखी री हम मंदिर जाते रोज, सखी री हम पूजा करते रोज ,सखी री हम गीता सुनते रोज, सखी री हम होते बृज के मोर


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