हे स्वर की देवी मां वाणी मे मधुरता दो मै गीत सुनाती हूं संगीत की शिक्षा दो
१- अज्ञान ग्रसन होकर क्या गीत सुनाऊं मैं, टूटे हुए शब्दों को क्या स्वर मे सुनाऊं मैं, दो ज्ञान की शिक्षा मां मुझपे तुम मेहर कर दो ...
२- सरगम का ज्ञान नही न लय का ठिकाना है, तुम्हे आज सभा में मां एक भजन सुनाना है, संगीत समुंदर से सुर-ताल हमें देदो...
३- भक्ति न शक्ति है सेवा का ज्ञान नही , मुझे आज सुनाने को मेरे पास तो कुछ भी नही , संगीत खजाने से एक गीत मुझे देदो ...
४- मै जैसी भी तेरी हूं मां तेरी पुजारिन हूं, मुझको न ठुकराओ मैं तेरी शरण में हूं, दो भीख दया की मां धन्य मै हो जाऊं ..
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